
इस दुनिया में बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिनको मां बनने का शौक भगवान की तरफ से प्राप्त नहीं होता है ऐसी महिलाएं बच्चे के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं जिससे कि वें मां बन सके, लेकिन सब कुछ उपाय करने के बावजूद भी महिलाएं मां नहीं बन पा रही हैं। ऐसे में वह निराश हो जाते हैं परंतु सरोगेसी ऐसी ही महिलाओं के लिए वरदान है जो महिलाएं निसंतान अपने जीवन में संतान का सुख प्राप्त करना चाहती हैं, तो सरोगेसी के बारे में जरूर जानें। आईए जानते हैं आखिर सरोगेसी क्या है और कौन होती है सरोगेट मदर
क्या होती है सेरोगेसी
आज के समय में विज्ञान बहुत आगे निकल चुकी है और आज विज्ञान यह साबित कर दिया है कि जो महिलाएं प्राकृतिक रूप से मां नहीं बन सकती उनके लिए विज्ञान ने एक ऐसी तकनीक की खोज कर ली है जिसे आईबीएफ तकनीक कहा जाता है, इस तकनीक के जरिए कोई भी महिला मातृत्व का सुख प्राप्त कर सकती हैं इस तकनीक में जो भी महिला मां बनना चाहती हैं उसके गर्भाशय में भ्रूण का अंडा लगाया जाता है और बाद में जब अंडा थोड़ा सा विकसित होने लगता है तब उसे किसी एक स्वस्थ महिला की गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है, बच्चे जब पूरी तरह से विकसित हो जाता है और जन्म लेने के लिए तैयार हो जाता है तो उसे जन्म दिया जाता है इस प्रक्रिया को ही सरोगेसी या किराए की कोख भी कहा जाता है।
सेरोगेसी में कितना खर्च आता है
आज के समय में भारत समय दुनिया के तमाम देश में जो महिलाएं मां नहीं बन पा रही हैं उनके लिए सरोगेसी का तरीका अपनाया जाता है क्योंकि अगर एक महिला मातृत्व का सुख प्राप्त करने इच्छा रखती है और किसी कारणवश मां नहीं बन पाती तो दूसरी महिला की कोख उधार लेना आजकल कोई बड़ी बात नहीं होती है, वैसे तो बहुत सारे ऐसे दंपति भी हैं जो माता-पिता नहीं बन पाते, किसी दूसरे को बच्चों को गोद ले लेते हैं इससे में अगर हमें अपने खुद की बच्चे पालने के लिए अगर दूसरे की कोख की जरूरत है तो लोग इससे भी नहीं घबराते इसके लिए चाहे जितना खर्च लग जाए।
वैसे तो इस प्रक्रिया में मेडिकल खर्च से ज्यादा कोख उधार देने वाली महिला के ऊपर निर्भर करती है कि वह कितने रुपए को उधार देने के लिए तैयार होती है, इसके लिए लोकसभा में बिल भी पास हुआ है जिससे सरोगेट मदर को तय नियम के अनुसार ही पैसे लेने होते हैं हालांकि अगर मोटी तौर पर कहा जाए तो इस प्रक्रिया में 15 से 20 लख रुपए तक की खर्च होती है,
इसके अलावा सेरोगेट मदर को पालन पोषण के लिए 9 महीने तक मेडिकल जांच दवा के लिए सारी खर्च दंपति को करना पड़ता है जो माता-पिता बनना चाहते हैं।
सरोगेसी के प्रकार
मुख्य रूप से सरोगेसी को दो प्रकारों में विभाजित किया है जो निम्नलिखित है
पारंपरिक या अनुवांशिक सेरोगेसी
इस प्रक्रिया के अंतर्गत एक सरोगेट मदर के गर्भाशय में उस व्यक्ति का शुक्राणु निषेचन किया जाता है जो उस बच्चे का पिता बनने वाला होता है उसे जयकोर्ट बनता है और अंडाणु बन जाता है जिनका अनुवांशिक संबंध केवल उसके पिता से होता है।
जेस्टेशनल सेरोगेसी
इस प्रक्रिया में माता और पिता दोनों के ही अंडाणु और शुक्राणु को एक परखनली में लेकर दोनों को पूरी तरह से मिला दिया जाता है उसके बाद सरोगेट मदर के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है, इस प्रक्रिया से पैदा होने वाले बच्चों के अंदर माता और पिता दोनों के ही जेनेटिक गुण प्रवेश कर जाते हैं
सेरोगेसी प्रक्रिया
सरोगेसी प्रक्रिया विशेषज्ञ एवं चिकित्सा के देखरेख में निम्नलिखित चरणों में पुरी की जाती है
मेडिकल स्क्रीनिंग – जब एक दंपति जो उसे महिला जिसकी कोख उधार लेना चाहते हैं उन दोनों के बीच संपूर्ण सहमति के साथ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हो जाते हैं उसके बाद कोख उधार देने वाली महिला की पूरी मेडिकल स्क्रीनिंग कराई जाती है ताकि यह पता लगाया जासके कि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए सक्षम है भी या नहीं।
भ्रूण स्थानांतरण – जब एक महिला सरोगेसी के लिए तैयार हो जाती है तो जन्म नियंत्रण गोलियों की मदद से उनको पूरी तरह से भ्रूण के लिए तैयार किया जाता है उस महिला के शरीर में हार्मोन के स्तर को बनाए रखने के लिए डॉक्टर द्वारा उन्हें प्रोगैस्टरॉन के कुछ इंजेक्शन भी दिए जाते हैं उसे महिला के हार्मोन लेवल को सामान बनाए रखने के लिए 12 हफ्ते तक लगातार उन्हें यह इंजेक्शन दिए जाते हैं। उसके बाद जब भ्रूण पूरी तरह से तैयार हो जाता है तब उसे महिला के गर्भाशय में उस भ्रूण को स्थानांतरण कर दिया जाता है,
गर्भावस्था – भ्रूण स्थानांतरित करने के बाद सरोगेट मदर गर्भवती हो जाती है भ्रूण स्थानांतरित के एक हफ्ते बाद गर्भवती महिला को डॉक्टर से जांच करवाना अति आवश्यक होता है ताकि डॉक्टर उस महिला के हार्मोन की लेवल की पूरी तरह से जांच ले समय-समय पर जांच कराई जाती है
भ्रूण में स्थानांतरण करने के बाद सरोगेट मदर को समय-समय पर चिकित्सा जांच कराया जाता है ताकि गर्भ में बच्चा किस तरह से पल रहा है उसका स्वास्थ्य वजन और बच्चों की धड़कन किस तरह से काम करता है इसके बारे में डॉक्टर 9 महीने तक कुछ समय अंतराल बाद अल्ट्रासाउंड करके देखरेख करती रहती हैं
बच्चों का जन्म – 9 महीने तक सरोगेट मदर गर्भ पूर्ण करने के बाद बच्चों को जन्म देने का समय आता है जिसे डॉक्टर की देखरेख में जन्म देती है और उस दंपति को सौंप देती है जिन्होंने उस महिला की कोख उधार ली हो
सरकारी प्रक्रिया – सरोगेट मदर जैसे ही 9 महीने बाद बच्चे को जन्म देती है उसके बाद बच्चों पर उसका हक नहीं रहता बल्कि कोख उधार लेने वाले दंपति को सौंप दी जाती है इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए भारत में बहुत सारी सरकारी एजेंसियां हैं जिसके अंतर्गत बच्चों का लेनदेन होता है उसके बाद बच्चे को जन्म देने वाली महिला कभी भी उसे बच्चे पर ना तो हक जाता पाती है ना ही उसे अपने पास रख सकती है।
सरोगेसी के लिए आवश्यक योग्यता
सेरेबेसी के तहत मां बनने की प्रक्रिया के लिए सबसे पहले जो भी सरोगेट मदर होती हैं या सरोगेट मदर बनना चाहती है उसके लिए कुछ निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए
• जैसे कि जिस महिला को आप सरोगेट मदर के तौर पर रखना चाहती हैं उसे महिला का मेडिकल रिकॉर्ड पूरी तरह से स्वस्थ है या नहीं इसके अलावा उसको पहले से ही एक बच्चे जन्म होनी चाहिए।
• सरोगेट मदर की भी एक उम्र निर्धारित की गई है जिसके अनुसार वह महिला 21 वर्ष से लेकर 41 वर्ष की बीच होनी चाहिए।
• वह महिला जिसकी कोख उधार लेने वाले हैं उस महिला या सरोगेट मदर की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही प्रकार से सही होना चाहिए।
• उस महिला का बॉडी मास इंडेक्स बिल्कुल भी 33 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
• सरोगेट मदर बनने वाली महिला धूम्रपान शराब या कोई बुरी लत से आई नहीं होनी चाहिए
• सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरोगेसी के लिए उस महिला को खुद से ही राजी होना बेहद जरूरी है वह किसी दबाव में आकर यह फैसला बिल्कुल भी नहीं लेना चाहिए।
सेरोगेसी बिल क्या है
सेरोगेसी बिल कानूनी रूप से सही है और हाल फिलहाल 15 जुलाई साल 2019 को लोकसभा के अंदर सेरोगेसी बिल के प्रावधान में कई सारे बदलाव भी किए गए हैं जो नीचे निम्नलिखित है:-
• सेरोगेसी बिल में साफ-साफ बताया गया है कि सरोगेट मदर रखना तभी सही है जब वह दंपत्ति शादी के 5 साल से शादी के गठबंधन में बंधे हुए हैं।
• इसके अलावा कोई मेडिकल तौर पर बच्चा पैदा करने में असक्षम साबित होते हैं तभी सारेगेसी का विकल्प चुन सकते हैं।
• इस अधिनियम के अंतर्गत ऐसा भी प्रावधान किया गया है कि जो दंपति सरोगेसी प्रक्रिया की सहायता से बच्चा प्राप्त करना चाहते हैं उनमें जोड़े की उम्र 23 से 50 साल स्त्री और 26 से 55 साल पुरुष की होनी चाहिए, इसके अलावा उनकी नागरिकता भारतीय होनी चाहिए।
• सरोगेट मदर के लिए आप अपने नजदीकी रिश्तेदारों को भी चुन सकते हैं जो इसके लिए सक्षम हो।
• इस बिल के अंतर्गत यह भी बताया गया है कि सरोगेट मदर को पहले से ही विवाहित होनी चाहिए, इसके अलावा उसका पहला बच्चा भी होना चाहिए।
• यदि कोई व्यक्ति सरोगेसी के अंतर्गत प्रक्रिया को आरंभ कर चुका है तो वह उस बीच में नहीं छोड़ सकता है और बच्चा पैदा होने के बाद उसे अपने पूरे अधिकार देने भी अनिवार्य है।
• सरोगेसी अधिनियम के तहत एक महिला को केवल एक ही बार सरोगेसी के तहत बच्चा पैदा करने की अनुमति दी जाती है।
• जो भी दंपति अपने लिए सरोगेसी करना चाहता है वह सरोगेट महिला को सभी प्रकार के खर्चे उसके भारत पोषण के लिए मानसिक रूप से प्रावधान आवश्यक करना होगा, यदि उससे ज्यादा पैसे कोई व्यक्ति देता है या कोई सरोगेट महिला मांगती है तो वह कानूनी अपराध माना जाता है।
• इस अधिनियम में बताए गए किसी भी शर्त को न मानने पर दंडनीय अपराध माना जाएगा और किसी भी प्रकार की शर्त ना मानने वाले व्यक्ति पर तुरंत कार्यवाही करके उसे दंड दिया जाएगा।
सरोगेसी के यह प्रक्रिया कानूनी रूप से वैध हैं और हजारों ऐसी दंपति के लिए एक वरदान है जो प्राकृतिक रूप से माता-पिता बनने में असक्षम है ऐसे लोगों के लिए सेरोगेसी बढ़िया प्रक्रिया है।