क्या है मनरेगा दर्पण? भ्रष्टाचारियों के लिए चेतावनी! पंचायत में मनरेगा का पूरा हिसाब अब जनता के हाथ में

मनरेगा दर्पण  छत्तीसगढ़ में मंगलवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने धमतरी जिले के करेली बड़ी गाँव से एक नई पहल की शुरुआत की। उन्होंने मनरेगा नागरिक सूचना पटल (MGNREGA Citizen Information Portal) या जिसे लोग देहात में ‘मनरेगा दर्पण’ कह रहे है, का शुभारंभ किया। सरकार का दावा है कि इससे आम जनता को सीधे मनरेगा कामकाज की जानकारी मिलेगी और पूरा सिस्टम ज्यादा पारदर्शी होगा।

इससे मनरेगा में होने वाले भ्रष्टाचार में रोक और लोगों में प्रदर्शिता बनी रहेगी और जनता को सही जानकारी मिलेगी।

क्या है मनरेगा दर्पण

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के अंतर्गत कराए जा रहे कार्यों का रिपोर्ट लोगों को सही जानकारी हो जिससे लोगों में पारदर्शिता और सरकार पर विश्वास बनी रहे इसीलिए मनरेगा सिटीजन इनफॉरमेशन पोर्टल का शुभारंभ किया है इससे लोग पंचायत स्तर पर मनरेगा के तहत पंचायत में होने वाले पिछले तीन साल के कार्यों का रिपोर्ट देख सकते हैं।

अब छत्तीसगढ़ का हर नागरिक अपने गाँव के मनरेगा कामकाज का पूरा हाल देख सकेगा। सरकार ने जो रुपया खर्च किया, वह किस योजना पर गया, यह सब सीधे जनता के सामने होगा

योजना का मकसद क्या है?

सरकार के अनुसार, इस योजना का मूल उद्देश्य है कि ग्रामीण लोगों को सरकारी कामकाज में झाँकने का हक मिल सके। पहले जब कोई किसान या मज़दूर पूछना चाहता था कि उनके गाँव में मनरेगा से कितने पैसे खर्च हुए, कितने तालाब खुदे, किसको रोजगार मिला – तो उन्हे कई दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब यह सब जानकारी गाँव के सूचना पटल और मोबाइल पर QR Code से उपलब्ध होगी।

सरकार की दावा है कि इससे जवाबदेही (Accountability) और पारदर्शिता (Transparency) लोगों में इस डिजिटल प्लेटफार्म से मजबूत होगी।

 

कैसे काम करेगा ‘मनरेगा दर्पण’?

हर पंचायत में एक बड़ा सूचना पटल लगाया जाएगा।

पटल पर एक QR Code और GIS आधारित नक्शा चिपकाया जाएगा।

कोई भी ग्रामीण अपने मोबाइल से उस कोड को स्कैन करेगा तो उसे गाँव में पिछले 3 सालों में हुए कामकाज का पूरा लेखा-जोखा दिखेगा।

कितने तालाब खुदे, कितनी सड़क बनी, मजदूरों को कितने दिन का काम मिला, कितना रुपया खर्च हुआ – यह सब जानकारी वहाँ उपलब्ध होगी।

यह डाटा डिजिटल फॉर्म में होगा और समय-समय पर अपडेट होता रहेगा।

सरकार कह रही है कि इस तरीके से न तो कोई जानकारी छुपेगी और न ही किसी को भटकना पडेगा।

 

जनता को क्या फायदा होगा?

1. पारदर्शिता में इजाफा – जनता देख सकेगी कि उनके नाम पर आया पैसा कहाँ खर्च हुआ।

2. भ्रष्टाचार पर रोक – पहले जहाँ बिचौलिये पैसे खा जाते थे, अब जनता को सीधी जानकारी मिलेगी।

3. जन विश्वास – गाँव वाले महसूस करेंगे कि सरकार सही मायनों में उनके लिए काम कर रही है।

4. डिजिटल सशक्तिकरण – अब देसी आदमी भी मोबाइल से बड़ा सरकारी हिसाब देख सकेगा।

मनरेगा दर्पण की मुश्किलें

सरकार ने इसका शुभारंभ तो किया है लेकिन कई जगहों पर अलग-अलग तरह की समस्या है जिससे लोगों को मुश्किलों की सामना करना पड़ सकता है जैसे: –

1. कई गाँव में अभी भी नेटवर्क की समस्या रहती है, वहाँ QR Code स्कैन करना आसान नहीं होगा।

2. अगर सूचना समय पर अपडेट न की जाए तो पटल का भरोसा खत्म हो जाएगा।

3. कई ग्रामीण अभी भी मोबाइल या स्मार्टफोन का इस्तेमाल सही से नहीं कर पाते, उनके लिए यह सिस्टम कठिन साबित हो सकता है।

4. सूचना पटल की देखरेख, मरम्मत और सुरक्षा भी पंचायतों के लिए चुनौती होगी।

मनरेगा की पृष्ठभूमि

मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) को 2005 में शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य है कि हर ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 100 दिन का गारंटीड रोजगार मिले। इसके अलावा छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की तरफ से 50 दिन की रोजगार मनरेगा के तहत मिलता है

इस योजना से देश के लाखों गाँव में तालाब, सड़क, नहर, कुआँ, मिट्टी भराई जैसे काम होते हैं। मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दर दी जाती है। सरकार ने अबतक कई डिजिटल पहल की हैं – NREGAsoft पोर्टल और अब यह नया मनरेगा दर्पण उसी कड़ी का हिस्सा है।

 

सरकार की उम्मीद

मुख्यमंत्री साय का कहना है कि आने वाले समय में यह सिस्टम पूरे प्रदेश में लागू होगा और हर पंचायत को डिजिटल सूचना पटल मिलेगा। उनका दावा है कि यह मॉडल पूरे देश के लिए Role Model बनेगा।

निष्कर्ष

‘मनरेगा दर्पण’ छत्तीसगढ़ सरकार का एक महत्वाकांक्षी कदम है। इससे न केवल ग्रामीणों को योजनाओं की सीधी जानकारी मिलेगी बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में भी सुधार आएगा।
हालांकि चुनौतियाँ भी बड़ी हैं – इंटरनेट, अपडेट और डिजिटल साक्षरता – लेकिन अगर इन्हें पार किया गया तो यह पहल गाँव-गाँव में पारदर्शिता और विकास का नया अध्याय लिखेगी।

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